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Harivansh Rai Bachchan
Harivansh Rai Bachchan
मधुशाला
अँधेरे का दीपक
जुगनू
है अँधेरी रात पर दीवा जलाना कब मना है
दिन जल्दी-जल्दी ढलता है!
पथ की पहचान
मधुबाला
इस पार, उस पार
जीवन की आपाधापी में
साथी, सब कुछ सहना होगा!
यात्रा और यात्री
किस कर में यह वीणा धर दूँ?
कहते हैं तारे गाते हैं
लो दिन बीता, लो रात गई
प्रतीक्षा
मुझे पुकार लो
क्षण भर को क्यों प्यार किया था?
था तुम्हें मैंने रुलाया!
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