मैं जैसा हूँ
मैं वैसा हूँ
स्वीकार करो
या तिरस्कार
न सीमाओं से
बंधा हुआ, न कोई
शर्त मुझे है स्वीकार
मुझ में है बस प्यार अपार
चाहो तो मुझे प्यार करो
न चाहो तो करो
तिरस्कार
ये सिक्के के दो पहलू हैं
बिन स्वीकार्य न हो तिरस्कार
अतिरेरक सीमाओं पे जब पहुचे ये
तो स्वयं से ही विश्वास डिगे
आत्म विश्वास के
आभाव में ही
तिरस्कार का
बीज पले
मैं उज्वल अगन हूँ
तड़फन हूँ
लगन हूँ
बलिदान हूँ
द्वैत नहीं, मैं एक हूँ
तूँ नहीं, सिर्फ मैं ही मैं हूँ
मैं जैसा हूँ
मैं वैसा हूँ
स्वीकार करो
या तिरस्कार
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