शोलो और फौलाद की तरह
बना लो अपने अस्तित्व को
बहुत सह लिया अब और नहीं सहेंगे
अब तो दिल से कर्म करने की ठान ली है।
अब तो सब कुछ पाने की इच्छा जाग्रत हो गयी है।
जब राह परिश्र्म की चुन ली है तो
हर चुनोती को स्वीकार करने की चाहत आ गयी है।
अब ना रुकेंगे ना थमेंगे और आगे बढ़ेंगे
समय की यही पुकार है पानी है राह तो
लीजये कर्म, परिश्र्म और अपने भगवन का नाम।
राह जो पानी है वह निश्चित रूप
से तुम्हारे सामने बाहे फैलाये खड़ी हो जाएगी।
राह खूद कह देगी में हार गयी और तुम जीत गए।
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