वो लम्हात वो पल,
मेरा बिछ्डा हुआ कल
मुझे आज भी याद करते हैं//
वो हसीं रात वो छल,
मेरे जज्बात ओझल
मुझे आज भी याद करते हैं//
मेरे ख्वाबों के महल,
मेरे बचपन के वो दल,
मुझे आज भी याद करते हैं//
मेरे गलियों के कल-कल,
जिन पर होता था हल-चल,
मुझे आज भी याद करते हैं//
कल के पहले क वो कल,
कल के बाद क वो कल,
मेरे गुश्ताक आँचल
मुझको छूता हुआ चल
तुमसे फ़रयाद करते हैं//
/ आफ़ताब आलम’दरवेश’
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